नोएडा में 1.08 लाख सीएनजी वाहन हैं। इसमें से करीब 20 हजार वाहनों में कंप्लायंस प्लेट का नवीनीकरण नहीं हुआ है। ऐसे में इन वाहनों में आग लगने का खतरा बना रहता है।
नोएडा जिले में 20 प्रतिशत लोगों ने अपने सीएनजी वाहनों की हाइड्रो टेस्टिंग नहीं कराई है। ऐसे में इन वाहनों में कभी भी आग लग सकती है। इन वाहनों के मालिकों को नोटिस जारी कर चेतावनी दी गई है। नियम के तहत कंप्लायंस प्लेट का नवीनीकरण न होने पर सीएनजी पंप चालकों को वाहन में सीएनजी नहीं भरनी चाहिए, लेकिन इस नियम का ख्याल कोई नहीं रखता है। पंप कर्मचारी बिना किसी देख-रेख के ही सीएनजी भर रहे हैं। वहीं वाहन मालिक नोटिस के बावजूद हाइड्रो टेस्टिंग से कतरा रहे हैं।जिले में 1.08 लाख सीएनजी वाहन हैं। इसमें से करीब 20 हजार वाहनों में कंप्लायंस प्लेट का नवीनीकरण नहीं हुआ है। ऐसे में इन वाहनों में आग लगने का खतरा बना रहता है। जिले में सीएनजी लगवाने और हाइड्रो टेस्ट के लिए पांच अधिकृत सेंटर हैं। हर सीएनजी वाहन के लिए कंप्लायंस प्लेट लेना जरूरी है और यह प्लेट वहां लगी होती है जहां सीएनजी भरने के लिए नोजल दिया गया होता है। इस कंप्लायंस प्लेट पर कुछ जरूरी जानकारी होती है जैसे कि आपकी गाड़ी का नंबर, इंस्टॉलेशन डेट, इंस्टॉलेशन सेंटर, लास्ट टेस्टिंग डेट आदि।
उप संभागीय परिवहन अधिकारी डॉ. सियाराम वर्मा बताते हैं कि हर तीन साल में सीएनजी सिलिंडर की टेस्टिंग जरूरी होती है। यह वाहन और मालिक के लिए बहुत जरूरी है। अगर टेस्टिंग में कोई खामी निकलती है तो इसे दूर किया जा सकता है। साथ ही इससे हादसा भी होने से बच सकता है।
क्या होती है हाइड्रो टेस्टिंग
-हाइड्रो टेस्टिंग करने से इस बात का पता चलता है कि कार में लगा सीएनजी सिलिंडर इस्तेमाल करने लायक है या नहीं?
-अगर सिलिंडर हाइड्रो टेस्ट को पास नहीं कर पाता है तो उसका इस्तेमाल करना कार में बैठे लोगों की जान को जोखिम डालना है। अनफिट सिलिंडर कभी भी फट सकता है।
-टेस्टिंग के दौरान सिलिंडर में तेजी से पानी छोड़ा जाता है और अगर इस दौरान सिलेंडर पानी के दबाव को सहन कर लेता है और ब्लास्ट नहीं होता तो सिलिंडर मजबूत माना जाता है।
-अगर सिलिंडर की टेस्टिंग नहीं कराई गई तो हादसे पर इंश्योरेंस कंपनी क्लेम देने में दिक्कत कर सकती है।