ब्लूज एरो कंपनी के सीईओ अमर श्री ने बताया कि दिल्ली से ग्रेटर नोएडा की दूरी अधिक नहीं है, लेकिन सड़कों पर जाम के कारण 1-2 घंटे तक समय लग जाता है। इसके साथ ही अन्य मेट्रो सिटी का भी यही हाल है। यह एयर टैक्सी लोगों का समय बचाएगी। यह एक बार में 600 किलोमीटर तक चल सकती है।
दिल्ली एनसीआर के साथ ही मेट्रो सिटी में रहने वाले लोगों को प्रतिदिन जाम की समस्या से जूझना पड़ता है। इसी समस्या को हल करने के लिए नॉलेज पार्क स्थित इंडिया सेंटर एक्सपो एंड मार्ट में आयोजित ऑटो एक्सपो में जाम से निजात दिलाने के लिए भविष्य के वाहन की पेशकश की गई है। एक कंपनी ने हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली एयर टैक्सी का प्रोपोटाइप पेश किया है। दावा किया है कि इस एयर टैक्सी से एक बार में छह से सात लोगों हवा में आ-जा सकेंगे, जिससे सड़कों पर जाम की समस्या से निजात मिलेगी।
इस टैक्सी की खासियत है कि यह किसी भी जगह से उड़ान भर सकती है। साथ ही 100 किलो वजन को भी ले जा सकती है। इसको लिंक रोड पर भी आसानी से लैंड कराया जा सकता है। 2026 में इसके संचालन का दावा कंपनी के पदाधिकारियों ने किया है।
ब्लूज एरो कंपनी के सीईओ अमर श्री ने बताया कि दिल्ली से ग्रेटर नोएडा की दूरी अधिक नहीं है, लेकिन सड़कों पर जाम के कारण 1-2 घंटे तक समय लग जाता है। इसके साथ ही अन्य मेट्रो सिटी का भी यही हाल है। यह एयर टैक्सी लोगों का समय बचाएगी। यह एक बार में 600 किलोमीटर तक चल सकती है। हाइड्रोजन फ्यूल से संचालित होगी। इसका किराया भी अधिक नहीं होगा। दिल्ली से ग्रेटर नोएडा की दूरी का किराया 2000 से 2200 रुपये तक हो सकता है। इसके साथ ही अभी कई शहरों में एक दिन में सामान नहीं पहुंंच पाता है। इससे 100 किलो तक सामान कुछ ही घंटों में पहुंचाया जा सकेगा।
पांच रुपये प्रति किलो मीटर आएगा खर्च वहीं, दूसरी कंपनी एयरपेस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के वाइस प्रेसिडेंट कपिल जैन ने बताया कि एयर टैक्सी का संचालन शुरू किए जाने की परिकल्पना की गई है। एयर टैक्सी में 6 सवारियों के लिए बैठने की व्यवस्था होगी। यह ग्रीन हाइड्रोजन और बैटरी दोनों से चलेगी। पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसका परीक्षण किया जा रहा है।
योजना के मुताबिक सभी प्रमुख शहर में एयरबॉक का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए कम से कम 20 एकड़ जमीन की जरूरत पड़ेगी। पूरा स्टेशन में सोलर सिस्टम युक्त होगा, ताकि बिजली की सभी जरूरतें पूरी हो सकें। किराये की बात करें तो 5 रुपये प्रति किलो मीटर का खर्च आएगा। प्रत्येक स्टेशन पर कम से कम 10 एयर टैक्सी होगी। पायलट प्रोजेक्ट के सफल होने पर रूट निर्धारण के लिए नागरिक उड्डयन विभाग से अनुमति ली जाएगी।