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36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला में संयुक्त राष्ट्र महासभा की घोषणा अनुरूप वर्ष 2023 को मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाने की पहल का असर पर्यटकों में खास तौर पर देखने को मिल रहा है। 

36वें सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला परिसर में मुख्य चौपाल के सामने राजस्थानी हवेली पर बने मोटा अनाज के व्यंजन पर्यटकों को खासे भा रहे हैं। दिनभर इस स्टाल पर मोटा अनाज के व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए लोगों में खासी उत्सुकता देखने को मिल रही है। यहां तैयार बाजरा की रोटी और सरसों का साग,दाल भाटी चूरमा खादय पदार्थों में पहली पसंद बना हुआ है।

राजस्थानी हवेली में मोटा अनाज से जुड़े व्यंजनों की धूम मेला परिसर में राजस्थानी हवेली के नाम से बनी स्टाल पर दिनभर मेला देखने आए लोगों की भीड़ जमा रहती है। इस स्टाल पर नियमित रूप से दाल भाटी चूरमा,बाजरा रोटी,कटे सांगरी थाली,मिसी रोटी,मक्का रोटी,गटटा सब्जी थाली,प्याज कचोरी,जोधपुरी मावा कचोरी,जोधपुरी मिर्ची बड़ा,चूरमा लडडू,छोले भटूरे,मूंग दाल हलवा,साग भाजी,बीकानेर की सरिया कचोरी,मूंग दाल पकौड़ी,कुल्हड चाय,मारवाड़ी कुल्फी पर्यटकों के लिए तैयार की जा रही हैं।

बाजरा की रोटी और दाल भाटी चूरमा बन रहा पहली पसंद राजस्थानी हवेली के संचालक विजय गुप्ता कहते हैं कि वे दसवीं बार मेले में अपनी स्टाल लगा रहे हैं,इस बार वे सरकार की मोटा अनाज वर्ष मनाने की पहल पर सभी व्यंजन मोटा अनाज से जुड़ी खादय वस्तुएं पर्यटकों को परोस रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार मेले में पर्यटक बाजरा अनाज के उत्पादों को तरजीह दे रहे हैं। बाजरा की रोटी और हरी सब्जियों का जायका दर्शकों को बरबस ही अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। गुप्ता जी कहते हैं कि मोटा अनाज सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है,इनसे तैयार व्यंजन स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होते हैं,ऐसे में सरकार की सोच है कि मोटा अनाज से जुड़े उत्पादों और व्यंजनों को मेले के माध्यम से प्रदर्शित किया जाए,ताकि लोगों का रूझान मिलेट्स की ओर बढाया जा सके।

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