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कई मामलों में पुलिस पर्याप्त साक्ष्य अदालत में उपलब्ध नहीं करा पाती है। जबकि कई मामलों में गवाह पुलिस को दिए गए बयान से अदालत में अलग बयान देते हैं। अदालत पुलिस को दिया गया बयान नहीं मानती है।
इंसाफ की राह में अपने ही बाधा बन रहे हैं। अपराध होने पर संबंधित थानों में मुकदमे दर्ज कराने के बाद 70 फीसदी मामलों में सगे संबंधी अदालत में बयान दर्ज कराते समय पहले के बयान से मुकर रहे हैं। विरोधाभासी बयान होने का लाभ आरोपियों को मिल रहा है और अदालत से बरी हो रहे हैं। सिर्फ तीस फीसदी मामलों में ही वादकारी अपने बयान पर अडिग रहते हैं।
परिवार न्यायालय के पूर्व प्रधान न्यायाधीश एससी त्रिपाठी का कहना है कि अदालत हमेशा दोनों पक्षों को सफाई और साक्ष्य देने का पूरा मौका देती है। किसी भी केस में दर्ज रिपोर्ट और अभियोजन व बचाव पक्ष की बहस को सुनकर अपना फैसला सुनाया जाता है। कई बार अभियोजन और आरोपी अदालत से बाहर समझौता कर लेते हैं। अदालत में बयान दर्ज कराने के दौरान जब प्रमुख गवाह ही अपने बयान से पलट जाते हैं तो अदालत साक्ष्य के अभाव में आरोपी को बरी कर देती है। अधिकांश मामलों में पक्षद्रोही होने पर अदालत गवाह के खिलाफ प्रकीर्णवाद भी दर्ज कराती है।
संदेह का मिलता है लाभ जिला शासकीय अधिवक्ता राजेश चंद्र शर्मा का कहना है कि कई मामलों में पुलिस पर्याप्त साक्ष्य अदालत में उपलब्ध नहीं करा पाती है। जबकि कई मामलों में गवाह पुलिस को दिए गए बयान से अदालत में अलग बयान देते हैं। अदालत पुलिस को दिया गया बयान नहीं मानती है। पुलिस और अदालत में दिए बयान में विरोधाभास होने पर आरोपी को संदेह का लाभ मिलता है और अपराध करने के बावजूद वह बरी हो जाता है।
केस लंबा खिंचने से परेशानी बार एसोसिएशन के सचिव अमित नेहरा का कहना है कि जिन केसों की सुनवाई बहुत लंबी चलती है, उनमें गवाहों का अपने बयान पर टिके रहना मुश्किल हो जाता है। उन पर तरह-तरह के दबाव बनाए जाते हैं। अगर घटना के कुछ ही दिन में अदालत में गवाही हो जाए तो गवाह अपने बयान पर कायम रहते हैं। लंबी अदालती प्रक्रिया के कारण गवाह पक्षद्रोही हो जाते हैं। इसका लाभ आरोपी को मिल जाता है।
सामूहिक दुष्कर्म का लगाया आरोप, अदालत में बयान से मुकरी मां लोनी क्षेत्र में एक महिला ने पड़ोसी युवक और उसके तीन दोस्तों पर नाबालिग बेटी से सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया। विरोध करने पर पिटाई कर घायल कर दिया। रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस ने चारों आरोपियों को जेल भेज दिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान किशोरी और उसकी मां पुलिस को दिए बयान से पलट गईं। दोनों ने अदालत में कहा कि पुलिस ने रिपोर्ट में क्या लिखा था, उसे नहीं पता। सामूहिक दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला के खिलाफ अदालत ने प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया।
भाई के हत्यारों को पहचानने से कर दिया था इनकार लोनी क्षेत्र में बेटे का शव मिलने पर पिता ने जीजा-साले के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। केस के विचारण के दौरान पिता की मृत्यु हो गई। अदालत में बयान दर्ज कराने के दौरान बहन पुलिस को दिए बयान से मुकर गई। इसका लाभ आरोपियों को मिला और दोनों बरी हो गए। अदालत ने बहन के खिलाफ प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया था।
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