विश्वास कुमार का इस दुर्घटना में बचना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है. उन्होंने बताया कि विमान का हिस्सा जब हॉस्टल पर गिरा, तब मैं उसमें मौजूद नहीं था. मैं मैदान पर गिरा था, वह हॉस्टल की छत नहीं थी.

Ahmedabad plane crash survival: अहमदाबाद विमान हादसे में विश्‍वास रमेश का जिंदा बचना किसी चमत्‍कार से कम नहीं है. विमान के बीजे हॉस्‍टल की छत पर क्रैश होने के बाद बड़ा धमाका हुआ था. आग का गुबार आसमान में देखने को मिला था. दमकल कर्मियों ने बताया कि विमान के क्रैश होने के बाद आग लगने से वहां का तापमान काफी बढ़ गया था. ऐसे में विश्‍वास रमेश का क्रैश में जिंदा बचना और खुद पैदल चलकर वहां से बाहर आना अविश्विनीय-सा लगता है. लेकिन विश्‍वास रमेश ने बताया कि उनकी आंखों के सामने लोग मर रहे थे. विमान में आग लग गई थी, लेकिन वह विमान से बाहर निकल आए और बच गए.  

PM मोदी ने जाना हालचाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को अहमदाबाद पहुंचे और घटनास्थल का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने उस अस्पताल का दौरा किया, जहां विमान हादसे में घायल हुए लोगों का इलाज किया जा रहा है. इस दौरान पीएम मोदी ने विश्‍वास रमेश से भी मुलाकात की. विश्‍वास ने बताया कि प्रधानमंत्री ने उनके हालचाल पूछे और कहा कि क्या हुआ था, कैसे हुआ, आप ठीक हो ना?

लगा मैं भी मरने वाला हूं…

विमान हादसे में अकेले बचे विश्वास रमेश ने डीडी न्यूज को बताया कि सबकुछ उनकी आंखों के सामने हुआ, लेकिन वह खुद भी समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर कैसे वे बच पाए। उन्होंने कहा कि एक क्षण के लिए लगा था कि उनकी भी मौत निश्चित है। लेकिन जब आंख खुली, तो उन्होंने खुद को जीवित पाया। उन्होंने अपनी सीट बेल्ट खोलने की कोशिश की और वहां से बाहर निकल गए। उनके सामने ही एयरहोस्टेस और अन्य लोग अपनी जान गंवा बैठे थे।

विमान में हरी और सफेद रंग की लाइट ऑन हुई 

उन्होंने बताया कि टेकऑफ के कुछ ही सेकंड, करीब 5-10 सेकंड के अंदर ही सब कुछ बदल गया। विमान के उड़ान भरते ही ऐसा लगा जैसे सब रुक गया हो। मुझे तुरंत अहसास हुआ कि कुछ तो गड़बड़ है। इसके बाद विमान के अंदर हरी और सफेद रोशनी जलने लगी। तभी ऐसा महसूस हुआ कि पायलट ने विमान को ऊंचाई पर ले जाने की कोशिश में गति बढ़ाई। लेकिन इतने में ही विमान नीचे गिर गया। मुझे यह नहीं पता कि विमान कहां गिरा था।

मुझे नहीं पता कि मैं कैसे बच पाया
विश्वास कुमार का इस हादसे में बच निकलना वाकई किसी चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने बताया कि वे उस समय हॉस्टल के उस हिस्से में मौजूद नहीं थे, जहां विमान गिरा था। वे जमीन पर गिरे थे, न कि हॉस्टल की छत पर। बाकी लोगों के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन जहां वह गिरे थे, वह सीधी जमीन थी। जब विमान नीचे गिरा, तो उन्होंने थोड़ा-सा खाली स्थान देखा और उसी जगह से निकलने का प्रयास किया। उनकी यह कोशिश सफल रही, जिससे वे इस हादसे में बच पाए।

मैं निकल पाया, लेकिन…
दूसरी साइड बिल्डिंग की दीवार थी. शायद वहां से कोई निकल नहीं सका होगा. वहीं, पर ज्‍यादा नुकसान हुआ था. मैं जहां था, वहीं थोड़ा स्‍पेस था, इसलिए मैं निकल पाया, लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं कैसे बच पाया. इसके बाद मैं वहां से पैदल चलकर बाहर आ गया. विमान में जब मैं फंसा हुआ था, तब वहां आग लग गई थी, तो इसकी वजह से मेरा एक हाथ भी जल गया. हादसे की जगह से बाहर आने के बाद मुझे एंबुलेंस हॉस्पिटल तक लेकर आई. यहां हॉस्पिटल में बहुत अच्‍छा इलाज हो रहा है.    


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