अमेरिकी टैरिफ का भारत की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव कई स्तरों पर देखा जा सकता है। यदि अमेरिका भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर अधिक टैरिफ लागू करता है, तो भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता में कमी आ सकती है। इससे निर्यात प्रभावित होगा, जो भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और व्यापार बैलेंस पर दबाव डाल सकता है। इसके साथ ही, कुछ भारतीय उद्योग, जैसे आईटी और टेक्सटाइल, जिन्हें अमेरिकी बाजार से बड़ा लाभ मिलता है, उनकी आय में गिरावट हो सकती है।
उनका मानना है कि 50 प्रतिशत टैरिफ लागू होने पर भारत की GDP पर करीब 23 अरब डॉलर का असर पड़ेगा. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखते हुए बग्गा ने यह चिंता जताई कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ भारतीय निर्यातकों के लिए लागत का दबाव तेजी से बढ़ा देंगे. उन्होंने स्पष्ट किया कि ऑटो उपकरण, कपड़ा, ज्वेलरी, कालीन, केमिकल और मेटल जैसे प्रमुख प्रभावित क्षेत्रों के निर्यातकों को विशेष रूप से व्यस्त सीजन में भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है.
टैरिफ से इतनी घट सकती है इकोनॉमी ग्रोथ
उन्होंने बताया कि हैंडमेड टेक्सटाइल उत्पाद, जो अमेरिका को होने वाले निर्यात का 35 प्रतिशत हिस्सा हैं, पर लागू टैरिफ 27 अगस्त से बढ़कर 63.9 प्रतिशत हो जाएगा। वहीं, कालीनों पर यह टैरिफ बढ़कर 58.9 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। बग्गा ने यह भी कहा कि इस बदलाव के कारण भारत की GDP पर 0.3 प्रतिशत से 0.6 प्रतिशत तक का प्रभाव पड़ सकता है, जिससे कुल 23 अरब डॉलर तक का आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसके अतिरिक्त, इसका असर रोजगार के अवसरों पर भी देखा जा सकता है।
भारत का US से एक्पोर्ट-इम्पोर्ट
वित्त वर्ष 2025 में भारत ने अमेरिका को 86.5 अरब डॉलर मूल्य की वस्तुओं का निर्यात किया, जबकि 45.7 अरब डॉलर का आयात किया। प्रमुख निर्यात सामग्रियों में इलेक्ट्रॉनिक्स, रसायन, दवाइयां और कपड़े शामिल रहे। वहीं, भारत द्वारा कच्चे तेल के आयात में अमेरिका की हिस्सेदारी 4% थी, जो अप्रैल और मई 2025 के दौरान बढ़कर 8% तक पहुंच गई। इसके बावजूद, यह आंकड़ा रूस के योगदान की तुलना में अभी भी कम रहा।
किन सेक्टर पर टैरिफ पर ज्यादा होगा असर?
सेक्टर्स | पिछला टैरिफ | नया टैरिफ | भारत पर असर |
बुना हुआ कपड़ा (वस्त्र) | 13.9% | 63.9% | वियतनाम की तुलना में ज्यादा नुकसान |
परिधान | 10.3% | 60.3% | ग्लोबल मार्केट में पहुंच खोने की आशंका |
निर्मित वस्त्र | 9% | 59% | कालीन, घरेलू वस्त्र उद्योग प्रभावित होंगे |
कालीन | 2.9% | 52.9% | 1.2 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित |
रत्न और आभूषण | 2.1% | 52.1% | 10 अरब डॉलर का सेक्टर, एमएसएमई सबसे ज्यादा प्रभावित |
झींगा/समुद्री भोजन | 33.26% | औसत 58% | एक्सपोर्ट कम होगा |
दवाइयां | 0% | 50% तक | वर्तमान में छूट प्राप्त, लेकिन असुरक्षित |
टेक्सटाइल: टैरिफ 60% के करीब पहुंचने के कारण मूल्य प्रतिस्पर्धा कमजोर हो रही है। इसका परिणाम निटवियर, बुने हुए परिधान और घरेलू वस्त्रों में MSME के अस्तित्व पर संकट के रूप में दिख रहा है।
जेम्स एंड ज्वेलरी: टैरिफ में 2% से 52% तक की वृद्धि के चलते अमेरिका को निर्यात आर्थिक रूप से असंभव प्रतीत होता है।
झींगा और सी फूड: पहले से ही उच्च टैरिफ का सामना कर रहे भारतीय निर्यातकों को अब 58% का अतिरिक्त बोझ सहना पड़ रहा है।