दिवाली के अवसर पर दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट से इको-फ्रेंडली ग्रीन पटाखों की अनुमति मांगेगी। ये पटाखे पर्यावरण के लिए अनुकूल हैं और लगभग 30 प्रतिशत कम प्रदूषण करते हैं। इनके उपयोग से धुआं और शोर भी सामान्य पटाखों की तुलना में कम होता है। इन्हें सीएसआईआर-एनईईआरआई ने तैयार किया है और इनमें कोई जहरीला मेटल नहीं होता। हालांकि ये सामान्य पटाखों की तुलना में महंगे हैं, लेकिन पर्यावरण संरक्षण के लिहाज से बेहतर विकल्प हैं। प्रमाणित दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे अमेजन पर ये उपलब्ध होंगे।

दिवाली करीब आ रही है, और दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का निर्णय लिया है। इसका उद्देश्य ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति प्राप्त करना है। 2019 से दिल्ली में सभी प्रकार के पटाखों पर प्रतिबंध लागू है। हालांकि, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना है कि जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सीमित संख्या में ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल की अनुमति मांगी जाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीन पटाखे पर्यावरण के लिहाज से अपेक्षाकृत बेहतर विकल्प हैं, लेकिन इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल भी प्रदूषण का कारण बन सकता है।

ग्रीन पटाखे क्या हैं?

ग्रीन पटाखे पर्यावरण के प्रति संवेदनशील यानी इको-फ्रेंडली पटाखे हैं, जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण करते हैं। इन्हें वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरणीय अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनईईआरआई) द्वारा विकसित किया गया है। ये विशेष पटाखे हानिकारक रसायनों से मुक्त होते हैं और इनमें सामान्य पटाखों के मुकाबले 30% कम धुआं उत्पन्न होता है। साथ ही, इनसे सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx) का उत्सर्जन भी कम होता है।

सीएसआईआर के अनुसार, ग्रीन पटाखों में जहरीले धातुओं जैसे बेरियम नाइट्रेट या स्ट्रॉन्शियम का उपयोग नहीं किया जाता है। इनकी जगह शेलक, जो एक प्राकृतिक बाइंडर है, का इस्तेमाल किया जाता है। ये पटाखे कम समय तक जलते हैं, जिसकी वजह से कम राख और धूल उत्पन्न होती है। 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें मंजूरी दी थी, लेकिन 2023 में राज्यों को इनके प्रयोग पर निर्णय लेने की स्वतंत्रता प्रदान की गई।

सामान्य पटाखों से क्या फर्क है?

सामान्य पटाखे पर्यावरण को प्रदूषित करने के प्रमुख कारणों में से एक हैं। इनमें बैरियम नाइट्रेट जैसे हानिकारक रसायन पाए जाते हैं, जो हवा को जहरीला बनाते हैं। ये पटाखे 160 डेसिबल तक का शोर उत्पन्न करते हैं, जो कानों और दिल के स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। इसके अलावा, इनमें से निकलने वाला ज्यादा धुआं दिल्ली जैसे शहरों में स्मॉग की समस्या को भी गंभीर बना देता है।

दिल्ली सरकार कोर्ट क्यों जा रही?

दिल्ली में प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से 2019 से सभी प्रकार के पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लागू है। हालांकि, 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखों के संबंध में राज्यों को निर्णय लेने की स्वतंत्रता दी थी। इसके बावजूद, दिल्ली सरकार ने अपने पूर्ण प्रतिबंध को बरकरार रखा। अब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने जनता की भावना का हवाला देते हुए इस मामले को न्यायालय में ले जाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि सरकार पर्यावरण संरक्षण और जनभावनाओं के बीच संतुलन स्थापित करेगी। अगर ग्रीन पटाखों की अनुमति दी जाती है, तो वे केवल प्रमाणित होने चाहिए और रात 8 से 10 बजे तक ही चलाए जा सकेंगे। इस फैसले पर विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं और इसे “ऑक्सीमोरॉन” करार दिया है, क्योंकि ग्रीन पटाखे भी पर्यावरण में प्रदूषण का कारण बनते हैं।

ग्रीन पटाखे कहां मिलेंगे?

ग्रीन पटाखों की उपलब्धता केवल प्रमाणित विक्रेताओं के माध्यम से होती है. इन पर ‘ग्रीन क्रैकर’ का लेबल, सीएसआईआर-एनईईआरआई द्वारा जारी प्रमाणपत्र, और एक क्यूआर कोड होता है जिसे स्कैन करने पर संबंधित जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

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