कौन सा दर्द
अपने सीने में छुपाए रखते हो?
मुस्कुराहट के पीछे
कौन सा गम
अपने ह्रदय में दबाए रखते हो?
कहते हो तुम
लोगों से अक्सर
कि मुझे कोई गम नहीं ?
फिर इस
तन्हाई के आलम में
किस से गुफ्तगू का
माहौल बनाए रखते हो?
सुना है लोगों से
कि तुम बहुत
बातें करते हो
पर आता है नाम मेरा तो
क्यों अपने लबों पर खामोशी
और आंखों में मुस्कुराहट रखते हो?

डॉ.राजीव डोगरा
कांगड़ा हिमाचल प्रदेश (युवा कवि लेखक)
(हिंदी अध्यापक) पता-गांव जनयानकड़, पिन कोड -176038
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