बिहार के बाद पूरे देश में एसआईआर लागू किया जाएगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ने जानकारी दी कि दूसरे चरण में 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया जाएगा। इनमें पश्चिम बंगाल समेत वे राज्य शामिल हैं, जहां चुनाव होने हैं।
बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद इसे पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई गई है। इस संबंध में जानकारी देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि अब इसका दूसरा चरण शुरू किया जाएगा, जो नौ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य योग्य मतदाताओं को सूची में शामिल करना और अयोग्य मतदाताओं को हटाना है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह भी बताया कि देश में आखिरी बार इस तरह की व्यापक समीक्षा 21 साल पहले की गई थी, और वर्तमान समय में इसमें बदलाव और सुधार आवश्यक हो गया है।
चुनाव आयुक्त ने बताया कि बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) प्रत्येक घर में तीन बार जाएंगे। इस दौरान वे मतदाताओं से संपर्क करेंगे, उनके नाम की सूची में पुष्टि करेंगे और मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए फॉर्म वितरित करेंगे। जो लोग घर से बाहर रहते हैं या दिन के समय कार्यस्थल पर होते हैं, वे ऑनलाइन माध्यम से अपना नाम जुड़वा सकते हैं। नई मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए प्रारंभिक चरण में किसी भी दस्तावेज की आवश्यकता नहीं होगी। मतदाताओं को केवल यह जानकारी देनी होगी कि 2003 की मतदाता सूची में उनका नाम था या नहीं। यदि उनका नाम नहीं था, तो यह बताना होगा कि उनके माता-पिता का नाम सूची में दर्ज था या नहीं। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर सभी राज्यों की 2003 की मतदाता सूचियां उपलब्ध हैं।
पोलिंग बूथ की संख्या भी बदलेगी
चुनाव आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि अब किसी भी पोलिंग बूथ पर 1000 से अधिक मतदाता नहीं होंगे। इस बदलाव के साथ, स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) के बाद पोलिंग बूथों की संख्या में बदलाव किया जाएगा, ताकि किसी भी स्थान पर मतदाताओं की भीड़ इकट्ठा न हो। यह प्रक्रिया उन 12 राज्यों में लागू होगी जहां SIR होना है, और इन राज्यों में कुल 51 करोड़ मतदाता हैं।
इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगा SIR
| राज्य/केंद्रशासित प्रदेश | मतदाता (लाख में) |
| अंडमान और निकोबार | 3.10 |
| छत्तीसगढ़ | 212.30 |
| गोवा | 11.85 |
| गुजरात | 508.39 |
| केरल | 278.50 |
| लक्षद्वीप | 0.58 |
| मध्य प्रदेश | 574.05 |
| पुदुचेरी | 10.21 |
| राजस्थान | 548.85 |
| तमिलनाडु | 641.15 |
| उत्तर प्रदेश | 1544.24 |
| पश्चिम बंगाल | 766.24 |
| कुल | 5099.46 (51 करोड़) |
प्रक्रिया क्या होती है?
SIR प्रक्रिया को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में 2003 की मतदाता सूची के साथ मतदाताओं के नाम को जोड़ा जाएगा। इस चरण में, मतदाताओं को केवल यह जानकारी देनी होगी कि 2003 की सूची में उनका या उनके माता-पिता का नाम किस स्थान पर दर्ज था।
जिन व्यक्तियों के नाम 2003 की मतदाता सूची से लिंक नहीं हो पाएंगे, उनके नाम दूसरे चरण में जोड़े जाएंगे। इस चरण में चुनाव आयोग ऐसे लोगों को नोटिस जारी करेगा, जिनके नाम लिंक नहीं हो सके हैं। इसके तहत मतदाताओं को जरूरी दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे, जिनमें आधार कार्ड भी स्वीकार्य होगा। साथ ही, यह जानकारी देनी होगी कि 2003 के दौरान वह और उनके माता-पिता कहां रह रहे थे। इसके बाद एक प्रोविजनल लिस्ट जारी की जाएगी।
प्रोविजनल सूची जारी होते ही मतदाताओं को अपील का अधिकार मिलेगा। इस प्रक्रिया में, वे लोग अपील कर सकते हैं जिनका नाम दूसरे चरण में भी सूची में शामिल नहीं हो पाया है। साथ ही, वे मतदाता जिनके नाम या अन्य विवरण में कोई त्रुटि है, अपनी जानकारी में संशोधन करा सकेंगे।

