आजकल देखा जाए तो ठंड का बढ़ना शुरू हो गया है और इसी बढ़ती ठंड में दर्द की समस्या भी अत्यधिक बढ़ जाती है और बिजी शेड्यूल के कारण और ज्यादा से ज्यादा तनाव लेने के कारण भी यह समस्या देखने को मिल रही है। अपने शरीर को कोई व्यायाम ना देना बॉडी को एक्टिव ना रखना और कोई फिजिकलएक्टिविटी ना करना और ज्यादा से ज्यादा चिंता करना भी एक कारण है फ्रोजन शोल्डर का
फ्रोजेन शोल्डर क्या है?
फ्रोज़न शोल्डर (एडहेसिव कैप्सुलिटिस), एक ऐसी स्थिति है जिससे कंधे में दर्द और कंधे की अकड़न हो जाती है और अंततः ऊपरी बांह और कंधे को हिलाना मुश्किल हो जाता है।फ्रोज़न शोल्डर या कंधे की अकड़न के लक्षण धीरे-धीरे शुरू होते हैं और समय के साथ बिगड़ते जाते हैं। फ्रोजन शोल्डर ट्रीटमेंट (एडहेसिव कैप्सुलिटिस)के लिए कंधे का व्यायाम ही श्रेष्ठ उपाय है। फ्रोजेन शोल्डर के लक्षणों जैसे कि कंधे का दर्द और हाथ का दर्द से राहत पाने के लिए योग की सूक्ष्म क्रियाएं ये एक्सरसाइज़ बहुत प्रभावी उपचार है।
फ्रोजन शोल्डर मैं योगी सूक्ष्म क्रियाओं की तकनीकों का उपयोग करते हुए कंधे के दर्द से राहत और कंधे को चलाने की क्षमता (ROM) को सुधारना है,
आज के आधुनिक युग में शरीर बहुत से तनाव झेलता है। रोजमर्रा की व्यस्त शहरी जीवन शैली के कारण सबसे अधिक तनाव झेलने वाले अंग आपके कंधे हैं। मनुष्य का भौतिक शरीर एक चलते-फिरते उपकरण की तरह है जो कि दिनभर सक्रिय रहता है, इधर-उधर घूमता रहता है, भोजन एकत्र करता है। सारे शारीरिक अंग कुछ ना कुछ कार्य करते रहते हैं। फिर भी संघर्ष यहाँ ख़त्म नहीं होता, हम काम पर जाने के लिए गाड़ी में बैठते हैं या ड्राइव करते हैं, सारा दिन कंप्यूटर के सामने बैठे रहते हैं, अपना दोपहर का भोजन भी अपने डेस्क पर ही बैठे-बैठे खाते हैं, फिर घर पर आकर भी टीवी के सामने बैठ जाते हैं,इसके फलस्वरुप हमारे कंधे अकड़ जाते हैं, और धीरे-धीरे सख़्त हो जाते हैं। साधारणतः दायाँ कंधा अधिक रूप से पीड़ित होता है।
कंधो के दर्द को कम करने के लिए योग
आधुनिक गतिहीन जीवन शैली में सारा दिन एक कुर्सी पर बैठे रहना होता है जिससे कंधे जकड़ जाते हैं और कंधों में तनाव हो जाता है। इसके फलस्वरूप चिंता और नकारात्मक भावनाएं यहां पर एकत्र हो जाते हैं। तो किस प्रकार के क्रियाकलाप इन अकड़े कंधों को डिफ्रॉस्ट करने में सहायता करते हैं? क्या योग कंधों के दर्द में मदद करता है?
बिलकुल! इसमें कोई संदेह नहीं है की योगासन इन कंधों की मांसपेशियों को विश्राम देने तथा तनाव दूर करने में सहायक होती है। योगासन ना केवल कंधों बल्कि गर्दन और पीठ के ऊपरी भाग को भी विश्राम देता है। बेहतर यह होगा कि कंधों के दर्द के लिए योग का निरंतर अभ्यास किया जाए और किसी योग गुरु के निर्देशन में इसको ठीक तरह से सीखा जाए। इससे जिस भी भाग में दर्द होगा विशेष तौर पर उसी भाग के लिए विशेष मुद्रा का सुझाव करेंगे।
कंधों के लिए योगासन |
फ्रोजेन शोल्डर के लिए उत्तम आसन कौन से हैं?
सुबह सोकर उठने के बाद सबसे पहले वार्म अप व्यायाम करें, जैसे हल्की जोगिंग, शेकिंग या जंपिंग। यह बेहतर होगा सुबह का आरंभ सूर्य नमस्कार से करें। जब शरीर गर्म और तैयार हो जाएगा तब अपना ध्यान कंधों के व्यायाम पर लेकर जाएं। जैसे कंधों को घुमाना- पीछे, नीचे, अंदर की ओर गर्दन को घुमाना और फिर शरीर को घुमाना या मोड़ने की मुद्राएं। फिर धीरे-धीरे कुछ उन्नत मुद्राएं जैसे बैक बैंडिंग और हार्ट ओपनिंग। बेहतर यही होगा कि इन सब योग मुद्राओं का अभ्यास किसी प्रशिक्षित योग टीचर के निर्देशन में ही करें जो आपका कुशलता से मार्गदर्शन करेंगे।
अधिक लोग योग का अभ्यास आरंभ में बहुत अकड़न के साथ करते हैं परंतु धीरे-धीरे नियमित अभ्यास से शरीर खुलने लगता है, रुकावटें दूर होने लगती हैं और सख्ती कम होने लगती है, कंधे अधिक नर्म व लचीले होने लगते हैं।
इन मुद्राओं को करने से पूर्व कुछ याद रखने योग्य बातें:
एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में धीरे-धीरे पूर्ण जागरूकता के साथ जाएं।
सांसों पर ध्यान दें, सांसे लगातार तथा सामान्य हो।
अभ्यास किसी प्रशिक्षित टीचर के निर्देशन में ही करें और जब आप मुद्राओं में आराम से आ सके तब इन का अभ्यास स्वयं करें अभ्यास करें जो
- गरुड़ासन
- पश्चिम नमस्कार आसन
- उस्त्रासन
- धनुरासन
- पूर्वोत्तानासन
- गरुड़ासन
कंधों को और पीठ के ऊपरी भाग को खींचता है। कंधों को ढीला करके तनाव दूर करता है।
पश्चिमोतानआसन
कंधों के जोड़ों को खोलता है। और छाती की मांसपेशियों को खींचता है।
उष्ट्रासन
शरीर के सामने के भाग को खींच कर मजबूत करता है। पीठ के निचले भाग में दर्द को दूर करता है।
धनुरासन
छाती, गर्दन और कंधों को खोलता है। तनाव को तथा थकान को दूर करता है।
पूर्वोत्तानासन
कंधों छाती और गर्दन को खींचता है। कंधों, पीठ, टखनों और कलाइयों को मजबूत करता है।
इन मुद्राओं को करने से पूर्व कुछ याद रखने योग्य बातें:
एक मुद्रा से दूसरी मुद्रा में धीरे-धीरे पूर्ण जागरूकता के साथ जाएं।
सांसों पर ध्यान दें, सांसे लगातार तथा सामान्य हो।
अभ्यास किसी प्रशिक्षित टीचर के निर्देशन में ही करें और जब आप मुद्राओं में आराम से आ सके तब इन का अभ्यास स्वयं करें।
अंततः निष्कर्ष निकलता है कि गति हीन जीवन शैली को छोड़कर आप व्यायाम करें और सूक्ष्म क्रियाओं का अभ्यास करें जो फ्रोजन शोल्डर की बीमारी से आपको राहत दिलाएगा और आपको दर्द में भी राहत देगा।

