नई दिल्ली: एलएनजेपी अस्पताल, दिल्ली सरकार के बेहद व्यस्त और बड़े अस्पताल लोकनायक अस्पताल में एक ऐसी घटना घटित हो गई जिसको जिसने भी सुना उसी ने उसकी घोर निंदा की है परिजनों की माने 17 फरवरी की रात में महिला को लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था यहां पर महिला ने रविवार शाम को एक बच्ची को जन्म दिया डॉक्टर नवजात शिशु को मृत घोषित करते हुए परिजनों से एक डिब्बा लाने को कहा लेकिन महिला ने बार-बार डॉक्टर से यही गुहार लगाई कि मेरी बच्ची जिंदा है वह मरी हुई नहीं है लेकिन परिजनों की एक ना चली और एक डब्बा मंगा कर उसमें बच्ची को पैक करके परिवार जनों को सौंप दिया गया बच्ची के पिता ने जानकारी देते हुए बताया
कि जब हमने घर ले जाकर डिब्बे को खोलकर देखा तो बच्ची हाथ हिला रही थी बच्ची के पिता अब्दुल ने बताया कि हम बच्ची को लेकर आनन-फानन में अस्पताल की नर्सरी में पहुंचे लेकिन वहां के डॉक्टरों ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती करने से साफ मना कर दिया काफी देर तक परिजनों और डॉक्टरों के बीच नोकझोंक चलने के बाद जब पुलिस ने अस्पताल के स्वास्थ्य कर्मचारियों पर अपना दबाव बनाया तब जाकर कहीं बच्ची को अस्पताल में भर्ती किया गया
लोकनायक अस्पताल के निदेशक डॉक्टर सुरेश कुमार ने यह बताते हुए कहा कि अस्पताल में हुई लापरवाही की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी का तुरंत गठन कर दिया गया है यह कमेटी 2 दिन के भीतर ही जांच पूरी कर के अपनी रिपोर्ट सौंपेगी सौंपी हुई रिपोर्ट के आधार पर ही हम दोषी संबंधित स्वास्थ्य कर्मियों पर उचित कार्रवाई कर सकते हैं बताते चलें कि इस गंभीर मामले की जांच स्वास्थ विभाग द्वारा की जा रही है आपको यह भी बताते चले की बच्ची के पिता अब्दुल के अनुसार घंटो डिब्बे में पैक रहने के बाद जब उसे दफनाने के लिए खोला गया
तब बच्ची धीरे-धीरे हाथ हिला रही थी लोकनायक अस्पताल के निदेशक डॉक्टर सुरेश कुमार ने अपना मत रखते हुए कहा कि जन्म के समय नवजात शिशु का वजन मात्र 490 ग्राम था मात्र 6 महीने में जन्मी बच्ची के अंदर किसी प्रकार की कोई हरकत नहीं थी बच्ची को हमारे स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा घर भेजा ही नहीं गया पैदा होने के बाद पूरे समय बच्ची पर नजर रखते हुए बच्ची को अस्पताल में ही रखा गया