HomeGeneralमयंक लठवालिया ने साथियों के साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के...

मयंक लठवालिया ने साथियों के साथ मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के साथ साथ किया एक अनोखी छड़ी का आविष्कार

हाल ही के एक अध्ययन के अनुसार भारतीय जनसंख्या में, 50 वर्ष और उससे अधिक आयु के एक चौथाई से अधिक लोग भारत में दृष्टिबाधित होते है,या नेत्रहीन होते है, भारत में लगभग 12 मिलियन नेत्रहीन लोग हैं, जो दुनिया की कुल दृष्टिहीन आबादी का एक तिहाई है, दृष्टिबाधित इस आबादी की मदद करने के लिए, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्रों ने एक स्मार्ट स्टिक विकसित की है जो उनकी दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों में उनकी मदद करती है,

यह सुनिश्चित करते हुए कि उनकी दृष्टिहीन उन्हें आनंदमय जीवन जीने से बाधित नहीं करती है। इस छड़ी का आविष्कार करने वाले समूह के छात्र मयंक लठवालिया बताते हैं कि इसमें बाधाओं को समझने के लिए सेंसर, जीपीएस नेविगेशन सिस्टम और इमरजेंसी एसओएस अलर्ट है। इसके अलावा यह यूजर की सुरक्षा के लिए उसके सामने लगी आग का भी पता लगा सकता है।


यह अंधे व्यक्ति को फिसलने से भी रोकने के लिए सड़क पर पानी का पता लगा सकता है यह छड़ी अंधे व्यक्ति के सामने लोगों और जानवरों और किसी भी बाधा का पता लगा सकती है और उसे वाइब्रेट करके बता सकती है। वह यह भी बताते है कि यह उसी सिद्धांत पर काम करता है जिसका उपयोग चमगादड़ भी अपना रास्ता ढूढने के लिए करते हैं स्टिक में लगा एक बटन का उपयोग करके उपयोगकर्ता मदद के समय रिश्तेदार या पुलिस को अपना जीपीएस स्थान भेज सकता है उन्होंने बताया कि उन्होंने करीब 1700 रुपये प्रति पीस की कीमत पर स्मार्ट स्टिक तैयार की है

मयंक लठवालिया राम नगर, दिल्ली के रहने वाले हैं और एनएसयूटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक कर रहे हैं। उनके पिता विजय भान एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्होंने यह छड़ी अपने पिता के एनजीओ के काम से प्रेरित होकर बनाई है। इस छड़ी का आविष्कार करने वाले समूह के अन्य छात्र अमन, अंशुल और तुषार हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments