मंडी जिले के गोहर क्षेत्र में बादल फटने की चार घटनाएं हुई हैं, जिनसे कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा है। कई लोगों को सुरक्षित रूप से बाहर निकाला गया है, लेकिन 10 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं। धर्मपुर क्षेत्र में भी बादल फटने के कारण छह घर सैलाब में बह गए हैं।

मॉनसून की बारिश जहां मैदानी इलाकों में लोगों के लिए राहत का कारण बनती है, वहीं पहाड़ों पर इसका विकराल स्वरूप सामने आ रहा है। हिमाचल प्रदेश पर मौसम का कहर भारी पड़ रहा है। बीस जून से अब तक राज्य में बादल फटने की 20 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं, और पहाड़ लगातार खिसकते जा रहे हैं, जिससे भारी जान-माल की हानि हुई है। मंडी जिले में ही 10 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, और कई लोग घायल हुए हैं। ब्यास और सुकेती नदी ने इलाके में तबाही मचा दी है।

उफान पर ब्यास नदी

मंडी के विभिन्न इलाकों में भारी बारिश और बादल फटने के कारण गंभीर तबाही देखने को मिली है। पंडोह डैम से छोड़े जा रहे 1.5 लाख क्यूसेक पानी ने व्यास नदी में उथल-पुथल मचा दी है, जिससे हालात और अधिक बिगड़ गए हैं। पानी स्थानीय लोगों के घरों में घुसने लगा है, जिससे कई परिवारों को अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थानों की ओर जाना पड़ा। इन परिस्थितियों ने लोगों के दिलों में 2023 की आपदा की दर्दनाक यादें फिर से ताजा कर दी हैं। उस समय मंडी जिले के सराज क्षेत्र का संपर्क पूरी तरह से टूट गया था और प्रभावित लोगों तक राहत और बचाव सामग्री पहुंचाने के लिए एयरफोर्स की मदद ली गई थी।

मंडी क्यों बना तबाही का एपिसेंटर?

मंडी जिला ही नहीं, बल्कि अन्य पहाड़ी क्षेत्र भी बादल फटने की घटनाओं के लिए अत्यधिक संवेदनशील माने जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन जगहों की भौगोलिक संरचना इस प्रकार की घटनाओं को बढ़ावा देती है। जब नम हवा पहाड़ों से टकराती है, तो वह ऊपर की दिशा में उठती है और वहां संघनित होकर बारिश की बूंदों को बनने से रोक देती है। हालांकि, जब हवा का दबाव अचानक घट जाता है, तो ऊपरी हिस्से में जमा नमी एक बार में टूटकर तेजी से नीचे गिरती है। इस प्रक्रिया को ही बादल फटना कहते हैं। इसके परिणामस्वरूप, पहाड़ों के तीव्र ढलान के कारण पानी तेज गति से बहता है और यह स्थिति फ्लैश फ्लड का रूप ले लेती है।

मंडी जिले के गोहर क्षेत्र में बादल फटने की चार अलग-अलग घटनाएं हुई हैं, जिनमें कई घरों को भारी नुकसान पहुंचा है. कई लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है, लेकिन अभी भी 10 से अधिक लोग लापता हैं. धर्मपुर क्षेत्र में भी बादल फटने की वजह से छह मकान बाढ़ की चपेट में आकर पूरी तरह ढह गए हैं. इसके अलावा, 8 गोशालाएं भी पूरी तरह तबाह हो चुकी हैं.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हाल ही में मंडी जिले के आपदा प्रभावित थुनाग और जंजैहली क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण किया और व्यक्तिगत रूप से प्रभावित लोगों को राहत सामग्री वितरित की। मुख्यमंत्री सेना के हेलीकॉप्टर के जरिए सरकाघाट से थुनाग के रैन गलू हेलीपैड पहुंचे। यहां उन्होंने प्रभावित लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनीं और हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

मुख्यमंत्री सुक्खू ने पहुंचाई मदद

अगर रैन गलू हैलीपैड पर उनके हेलीकॉप्टर के टेकऑफ में महज पांच मिनट की भी देरी होती, तो खराब मौसम के कारण उड़ान संभव नहीं हो पाती और मुख्यमंत्री वहीं अटक सकते थे। उन्हें सूचना मिली थी कि थुनाग क्षेत्र का सड़क संपर्क टूट गया है और वहां खाद्य सामग्री खत्म हो गई है। ऐसी परिस्थिति में उन्होंने जिला प्रशासन को तुरंत हवाई मार्ग से राहत सामग्री भेजने का निर्देश दिया। हाल ही में थुनाग और जंजैहली उप-मंडल में बादल फटने की घटनाओं से सड़क मार्ग पूरी तरह बाधित हो गया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए राहत सामग्री हवाई मार्ग के जरिए पहुंचाई गई है।

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