बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी ठहराया है. न्यायाधिकरण ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है.
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (आईसीटी) द्वारा मानवता के खिलाफ गंभीर अपराधों का दोषी ठहराया गया है। तीन न्यायाधीशों वाली इस ट्रिब्यूनल ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है। जस्टिस गुलाम मुर्तजा के नेतृत्व वाले तीन सदस्यीय पैनल ने अपना निर्णय छह भागों में पेश किया, जो कुल 400 पृष्ठों में विस्तारित है।
जस्टिस मुर्तजा की अध्यक्षता वाले ट्रिब्यूनल में जस्टिस मोहम्मद शफीउल आलम महमूद और जस्टिस मोहम्मद मोहितुल हक एनाम चौधरी भी शामिल हैं। इस ट्रिब्यूनल ने एक मामले में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। ट्रिब्यूनल का कहना है कि उन्होंने मानवाधिकार संगठनों और अन्य संस्थाओं द्वारा प्रस्तुत कई रिपोर्टों पर विचार किया है। इसके साथ ही, क्रूरताओं की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया। ट्रिब्यूनल ने निष्कर्ष निकाला कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ संगीन अपराध किए हैं। निर्णय में यह भी बताया गया है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है। शेख हसीना पर यह आरोप है कि उन्होंने शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हेलीकॉप्टर से बम गिराने का आदेश दिया था। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने यह पाया कि अवामी लीग के कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर पार्टी नेतृत्व की जानकारी में सड़कों पर उतरकर योजनाबद्ध हमले किए।
ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना और मंत्री के बीच हुई बातचीत को पढ़कर सुनाया।
ट्रिब्यूनल में शेख हसीना और उनके मंत्री हसनुल हक इनु के बीच हुई कई टेलीफोनिक बातचीत को पेश किया जा रहा है, ताकि अवामी लीग के शीर्ष नेतृत्व की हिंसा में कथित भूमिका साबित की जा सके। इसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि शेख हसीना ने कैसे छात्रों के विरोध प्रदर्शन को आतंकी गतिविधि के रूप में चित्रित करने का प्रयास किया।
शेख हसीना और अन्य व्यक्तियों ने आपराधिक षड्यंत्र की योजना बनाई।
ट्रिब्यूनल ने कहा कि अधिकतर मौतें बांग्लादेशी सुरक्षाबलों द्वारा प्रयुक्त घातक धातु के छर्रों से भरी सेना की बंदूकों से हुईं। शेख हसीना की सरकार के कार्यकाल में सेना, पुलिस और आरएबी ने न्याय प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए हत्याएं कीं। शेख हसीना और अन्य आरोपियों पर सामूहिक रूप से आपराधिक साजिश रचने का भी आरोप है। इसके अलावा, ट्रिब्यूनल ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में शेख हसीना के साथ पूर्व गृहमंत्री असदुज्जामान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल मामून भी आरोपी हैं। तीनों पर मानवता के विरुद्ध अपराध करने का आरोप है। ट्रिब्यूनल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और अन्य नागरिकों के मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन सीधे राजनीतिक नेतृत्व के आदेशों के परिणामस्वरूप हुआ। ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 1400 मौतें हुईं और 11,000 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया एवं गिरफ्तार किया गया। संयुक्त राष्ट्र ने भी यह देखा कि राजनीतिक नेतृत्व के निर्देश के तहत हिरासत में लोगों को यातनाएं दी गईं, जिसकी पुष्टि कई रिपोर्ट्स से होती है। बड़ी संख्या में वीडियो जब्त किए गए हैं, जिन्हें जांच के लिए खंगाला जा रहा है।
घायलों का इलाज न करने के निर्देश जारी किए गए – ट्रिब्यूनल
ट्रिब्यूनल ने बताया कि अनेक वीडियो में दिखा है कि हेलीकॉप्टर से सीधे लोगों पर गोलीबारी की गई। साथ ही घायलों को अस्पताल में भर्ती न करने का निर्देश भी दिया गया था। एक वीडियो में यह साफ देखा गया कि एक प्रदर्शनकारी की दोनों आंखों से खून बह रहा था और वह मदद के लिए चीख-पुकार कर रहा था। कुछ प्रदर्शनकारियों को मात्र पांच मीटर की दूरी से गोली मारी गई, जबकि कई अन्य को कई-कई गोलियां लगाई गईं। इसके साथ ही ट्रिब्यूनल ने इस बात का भी खुलासा किया कि अस्पतालों ने घायल प्रदर्शनकारियों को भर्ती करने से इंकार कर दिया। गवाहियों से पता चला कि डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिए गए थे कि वे किसी भी घायल को भर्ती न करें और जो मरीज पहले से भर्ती हैं, उन्हें भी छुट्टी न दी जाए। डॉक्टरों की गवाही से यह साफ हुआ कि पुलिस और प्रशासन ने जानबूझकर घायलों के इलाज में रुकावट डाली। यहां तक कि कुछ डॉक्टरों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट बदलने के लिए दबाव डाला गया और धमकाया भी गया।
ट्रिब्यूनल ने यह भी बताया कि शेख हसीना के खिलाफ किन-किन आरोपों और सबूतों को दर्ज किया गया है। फैसले से पहले पूरे मामले को बारीकी से पढ़ा गया और रिकॉर्ड पर रखा गया, जिससे प्रक्रिया लंबी खिंच गई और फैसला आने में देर हुई। इसी बीच, राजधानी ढाका में पुलिस को निर्देश दिया गया है कि हिंसक स्थिति में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से पीछे न हटें। शेख हसीना ने फैसले से पहले अपने समर्थकों को भेजे वीडियो संदेश में सभी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि फैसला आ जाने दें, इसका उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

