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एसिड अटैक, शादी से इंकार करने पर फेका एसिड दिल दहला देने वाली रुकैया की कहानी

एसिड अटैक तेज़ाबी हमला करने पर गुनहगारों को फांसी की सजा होनी चाहिए लेकिन कई बार ऐसा होता है रुकैया जैसी कुछ लड़किया इस इन्साफ से महरूम रह जाती है वो अपने लिए कोई फैसला नहीं कर पाती है हालात से हार कर वो आवाज़ नहीं उठा पाती| कहते है नफरत की शकल में जब किसी के शरीर तेज़ाब की बुँदे पड़ती है तो जिस्म के साथ साथ रूह भी छलनी कर जाती है|
खाल के साथ साथ तेज़ाब की बुँदे पड़ने वाले की आत्मा भी गलने लगती है तभी तो तेजाब की टीस से बेगुनाहों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक ने सख्त कायदे कानून बना रखे हैं. हां तक कि किसी पर तेजाबी हमला करने के गुनहगारों को कत्ल के बराबर की सजा यानी आजीवन कारावास तक दिए जाने का प्रावधान है लेकिन कई बार कुछ लड़किया डर के कारण या अन्य किसी कारन से आवाज़ नहीं उठा पाती है|
यह कहानी ऐसी ही एक लड़की रुकैया की है|
कौन है रुकैया?
34 साल की रुकैया आगरा के शीरोज हैंगआउट कैफे में काम करती हैं वो एक ऐसा कैफ़े है जिसमे काम करने वाले सभी लोग एसिड अटैक सरवाइवर है . एसिड अटैक सरवाइवर यानि तेज़ाबी हमला झेल कर बच निकलने वाले लोग दर्दनाक एसिड अटैक झेलने के बावजूद रुकैया अब अपनी ज़िन्दगी में आगे तो बढ़ने लगी है लेकिन सच तो यही है रुकैया के साथ हुए एसिड अटैक के पुरे 20 साल गुजरने के बाद भी उसे इन्साफ का इंतज़ार आज भी है
इंसाफ की उम्मीद

तेज़ाबी हमला करने पर गुनहगारों को फांसी की सजा होनी चाहिए लेकिन कई बार ऐसा होता है रुकैया जैसी कुछ लड़किया इस इन्साफ से महरूम रह जाती है|
वो अपने लिए कोई फैसला नहीं कर पाती है हालात से हार कर वो आवाज़ नहीं उठा पाती| कहते है नफरत की शकल में जब किसी के शरीर तेज़ाब की बुँदे पड़ती है तो जिस्म के साथ साथ रूह भी छलनी कर जाती है|
खाल के साथ साथ तेज़ाब की बुँदे पड़ने वाले की आत्मा भी गलने लगती है तभी तो तेजाब की टीस से बेगुनाहों को बचाने के लिए तभी तो तेजाब की टीस से बेगुनाहों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक ने सख्त कायदे कानून बना रखे हैं.यहाँ तक कि किसी पर तेजाबी हमला करने के गुनहगारों को कत्ल के बराबर की सजा यानी आजीवन कारावास तक दिए जाने का प्रावधान है लेकिन कई बार कुछ लड़किया डर के कारण या अन्य किसी कारन से आवाज़ नहीं उठा पाती है
यह कहानी ऐसी ही एक लड़की रुकैया की है

बहन के देवर ने किया था एसिड अटैक

वो कहती है की शादी के प्रस्ताव को ठुकराने पर उसे इतना बुरा लगा था की उसने मेरी ज़िन्दगी ही बर्बाद कर दी हल्का सा अँधेरा छाया हुआ था में चरपाई के पास खड़ी थी तभी उसने मेरे चेहरे पर कुछ फेका जिससे पुरे चेहरे पर जलन मचने लगी उस समय मुझे लगा उसने मेरे चेहरे पर चाय फेक दी लेकिन तेज़
जलन ने मुझे इस बात का एहसास दिला दिया की यह हमला तेज़ाब का था
बड़ी बहन की खातिर नहीं की शिकायत
रुकैया बताती है इस सब के बाद उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहा उसकी हालत लगातार ख़राब हो रही थी उसे बेहद दर्द और जलन हो रही थी एक दिन बाद उसे अलीगढ़ से आगरा लाया गया. जहां अस्पताल में करीब एक महीने तक उसका इलाज चलता रहा.इस दोरान बात पुलिस से करने पर भी
आ गई रुकैया की माँ भी चाहती थी की उसे इन्साफ मिले लेकिन उसकी बहन के ससुराली नहीं चाहते थे की यह बात पुलिस तक जाए उन्होंने कहा की अगर रिपोर्ट की तो वो उसकी बहन को घर से निकाल देंगे बस यहीबात रुकैया की ज़िन्दगी की सबसे दर्दनाक बातो में से थी वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकती थी
और बात है कि अब ये इंतज़ार ख़त्म होने की उम्मीद बंधने लगी है, क्योंकि इंसान आम तौर पर इंसाफ की आस में जिस पुलिस के पास जाता है, वही पुलिस अब रुकैया को इंसाफ दिलाने खुद उसके दरवाजे पर आ खड़ी है. रुकैया पर हुए तेजाबी हमले और उसके 20 सालों के दर्द को समझने के लिए हमें इस कहानी को शुरू से समझने की जरुरत है|


6 दिसंबर 2022 यही वो तारीख थी, जब आगरा जोन के एडीजी राजीव कृष्ण आगरा शहर के शीरोज कैफे पहुंचे थे वो कैफ़े में कुछ एसिड सरवाइवर से बात चीत कर रहे थे वह उन्हें पता लगा की रुकैया ही एक ऐसी लड़की है जिसे सालो तक इन्साफ नहीं मिला इन लड़कियों की कहानी ने पुलिस को अंदर तक झिंझोड़ कर रख दिया
ADG ने पुलिस कमिश्नर को दिया आदेश
एडीजी राजीव कृष्ण ने रुकैया की कहानी सुनने के बाद फौरन ही आगरा के पुलिस कमिश्नर डॉ प्रीतिंदर सिंह से बात की. रुकैया और बाकी लड़कियों को इंसाफ दिलाने का हुक्म दिया. तब पुलिस कमिश्नर ने इन लड़कियों को अपने दफ्तर में बुलाया, उनकी कहानी सुनी और अपने मातहत पुलिस अफसरों को इस सिलसिले में एफआईआर दर्ज करने का हुक्म दिया. रुकैया की जिस दर्द भरी कहानी ने बड़े से बड़े और धाकड़ पुलिस अफसरों को भी हिला कर रख दिया, उसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे.
रुकैया की दर्दभरी दास्तान
रुकैया बताती है वो अपने साथ हुए इस हादसे की तारीख को कभी नहीं भूल सकती वो 7 सितम्बर 202 की बात थी उसके चेहरे पर तेज़ाब डालने वाला
और कोई नहीं उसकी भें का देवर था जो उससे शादी करने की ज़िद्द पर अड़ा था उस समय रुकैया सिर्फ 14 साल की थी वो नाबालिक थी वो पढाई करना चाहती थी उसके घर वाले भी उसकी शादी इतनी जल्दी नहीं करवाना चाहते थे और न ही में इस शादी के लिए त्यार थी उस रोज़ में अपनी मम्मी के साथ
अपनी बहन के घर गई थी मेरी बहन के मिसकैरेज हुआ था इसलिए में और मेरी माँ दोनों अपनी भें की मदद के लिए गए थे उसी समय मेरे जीजा के छोटे भाई ने मुझे शादी का प्रस्ताव दिया. तब खुद उसकी उम्र 24 साल की थी. इस शादी के लिए मेरी मां ने भी मना कर दिया और मैंने भी. मेरी उम्र ही क्या थी उस समय?”|

एसिड अटैक पर क्या कहता है कानून?
अब आपको बताते हैं कि पहले एसिड अटैक को लेकर देश में अलग से कोई कानून नहीं था. यानी ऐसे हमलों पर आईपीसी की धारा 326 के तहत गंभीर रूप से जख्मी करने का का केस ही दर्ज होता था|

लेकिन बाद में आईपीसी में धारा 326 ए और बी जोड़ी गईं. जिसके तहत तेजाबी हमला करने के मामले को गैर जमानती अपराध माना गया और गुनहगार को कम से कम दस साल और ज्यादा से ज्यादा आजीवन कारावास की सजा देने का प्रावधान किया गया|

इसके अलावा उससे जुर्माना वसूल कर पीड़िता की मदद करने का नियम भी बनाया गया.इसी तरह आईपीसी की धारा 326 बी के तहत अगर किसी को तेजाब से हमला करने की कोशिश करने का गुनहगार पाया जाता है, तो भी उसके खिलाफ गैरजमानती मुकदमा दर्ज कर उस पर कार्रवाई किेए जाने का प्रावधान है. हमले की कोशिश करने पर भी कम से कम पांच साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है |

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